कविता"होली "



होली 


होली आयी होली आयी
घर-घर में खुशियां हैं छाईं

गलियों -गलियों में बच्चों ने 
अपनी -अपनी टोली बनाई
कोई मारे पिचकारी भर के
फिरता कोई जोकर बन के 

होली आयी होली आयी
घर-घर में खुशियां हैं छाईं

कचरी पापड़ बने सभी घर
गुजिया की खुशबू मन भाई
किसी -किसी ने मारे खुशी से 
देखो जमकर भांग चढ़ाई

होली आयी होली आयी
घर-घर में खुशियां हैं छाईं

रंग बिरंगे हुए सभी जन
न कोई गोरा न श्याम रंग
झगड़े सारे हम भूल जायें
खुशियों में ही नाचें गाये


होली आयी होली आयी
घर-घर में खुशियां हैं छाईं

अर्चना


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