साँई की महिमा
साईं की महिमा का
क्या गुणगान करूँ
कण-कण में है वो ही
रमा मैं जिध देखूँ
कण-कण में है वो ही
रमा मैं जिध देखूँ
मेरे अंदर भी है साँई
तेरे अंदर भी है साँई
उनके मन में रहता साँई
जो जाने हैं पीर पराई
दीनों- हीनों की मै सेवा कर लूँ
कण-कण में है वो ही
रमा मैं जिध देखूँ
कण-कण में है वो ही
रमा मैं जिध देखूँ
अंबर में भी रहता साँई
धरती पर भी रहता साँई
जहाँ दया है वहाँ है साँई
जहाँ क्षमा है वहाँ है साँई
बार-बार मैं श्री चरणों में शीष रखूँ
कण-कण में है वो ही
रमा मैं जिध देखूँ
कण-कण में है वो ही
रमा मैं जिध देखूँ
अर्चना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें