कविता "मेरे पापा "







मेरे पापा 


मेरे पापा बहुत ही प्यारे 
लाते खिलौने न्यारे-न्यारे

कभी तो रोबोट ले आते और कभी हेलीकाप्टर
कभी तो चाबी की गाड़ी लाते  दोड़े सर सर सर

खाली हाथ कभी न आते
कभी चोकलेट या फल ले आते

ऑफिस से घर आते ही
फिर बाज़ार को निकल हैं जाते

तोल-भाव अच्छा करते
 और सब्ज़ी चुन-चुन लाते


घर को ऐसे खूब चलाते 
बचत भविष्य की कर पाते


कभी  मम्मी जो थक जाती
 तो गरमागरम चाय बनाते 

छोटे से ही उन्होंने हमे 
नियमितता का पाठ पढ़ाया


इसीलिए तो आज मै 
क्लास का टॉपर बन पाया

चाहे परिस्थिती कैसी भी हो
पांव कभी न डगमगाते


मनोरंजन भी खूब कराते
सिनेमा दिखाने ले जाते

वो तो लगते वृक्ष घना
छाया में हम सब रह पाते

प्रभु से करता दुआ के
हर जनम यही पापा मिल जाते

अर्चना








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