कविता"जल होता सबका ही जीवन"


"इस कविता में मैंने जल की कुछ विशेषताओं का वर्णन किया है |"


जल होता सबका ही जीवन
चाहें हो मानव या हो पशुजन
कम हो रहा है ये तो दिन-प्रतिदिन
अब खोलो आँखे सोचो हुआ है दिन 

जल के बिन तो नहीं हो सकती
एक पल भी जीवन की कल्पना
जल होता अमृत का प्याला
जिसकी सभी को होती तृष्णा

जल बिन सारे कार्य अधूरे
बिन जल के तो बाग़ भी उजड़ें
कैसे सींचोगे खेत-खलियानों को 
जल रक्षा की नहीं हो परवाह करते

ये तो है धन से भी कीमती
करो इसकी तुम बचत सब दिन
वर्ना कोई नहीं बचा पायेगा 
जीवन को होने से छिन्न -भिन्न 

अर्चना



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