कविता "घर आया बिल्ली का बच्चा"





घर आया बिल्ली का बच्चा


"इस कविता के माध्यम से मैंने एक बिल्ली के बच्चे की विशेषताएँ बताई हैं|"

घर आया बिल्ली का बच्चा
कितना प्यारा कितना अच्छा
मूंछे देखो कितनी प्यारी
शेर की याद दिलाने वाली
कहीं भी है ये तो चढ़ जाता
सारे दिन यह उधम मचाता
दूध और रोटी जमकर खाता
 म्याऊ - म्याऊ करता ही जाता
जब मैं हूँ बाहर को जाता
मेरे कांधे पर चढ़ जाता
जब वो नहीं दिखाई देता 
मैं तो व्याकुल सा हो जाता
बन गया है उससे एक रिश्ता
वो भी मुझसे प्रीत निभाता
खेलते-खेलते साथ में उसके
दिन जाने कब है ढल जाता
घर आया बिल्ली का बच्चा
कितना प्यारा कितना अच्छा
(अर्चना)


कविता "मेरी गेंद"




मेरी गेंद

"निम्न कविता में मैंने बच्चों का का गेंद के प्रति लुभाव चित्रित किया है"

मेरी गेंद है कितनी प्यारी
रंग बिरंगी उछलने वाली
इधर से फेंकू उधर से आये
मेरे मन को है बहलाये
यही तो बैट की दोस्त कहलाये
दोनों मिलकर रंग जमायें
बिन इसके तो कुछ  भी न भाये
रोज ऐसी एक गेंद मिल जाये
(अर्चना)