बचपन की यादों पर कविता"बचपन की बात पुरानी "
कितनी प्यारी थीं वो बचपन की बात पुरानी
जब दादी सुनाया करती हमको एक कहानी
बारिश के पानी में हम थे नाव चलाया करते
गुड्डे-गुड़िया की शादी में खूब मजे करते
खाते थे इमली और चूरन
मुस्काते थे बस मन ही मन
और कभी घोड़ा बनने की आयी दादा की बारी
कितनी प्यारी थीं वो बचपन की बात पुरानी
जब दादी सुनाया करती हमको एक कहानी
चोरी-चोरी बागों से आमों को तोड़ा करते
डब्बे बनते इंजन बनते और सीटी दिया करते
गिट्टे कंचे गिल्ली डंडा और
चोर पुलिस खेला करते
और कभी थी बौल से अंकल की खिड़की टूट जानी
कितनी प्यारी थीं वो बचपन की बात पुरानी
जब दादी सुनाया करती हमको एक कहानी
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 मार्च 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूचना देने के लिए धन्यवाद यशोदा जी |
जवाब देंहटाएंबचपने की याद ताज़ा करती आपकी रचना
जवाब देंहटाएंअर्चना जी सुंदर रचना👌
धन्यवाद ,श्वेता जी|
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ज़ोशीजी
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