मेरा बचपन
कितना प्यारा मेरा बचपन
न कोई चिंता न कोई गम
खेलना खाना और सो जाना
दुनिया से हूँ अनजाना
जो चाहूं वो मिल जाता
टॉफी चोकलेट जमकर खाता
पापा जब वापस घर आते
बाँहों में ले खूब झुलाते
माथे पर है नज़र का टीका
लोरी सुनकर ही सो पाता
अगर मुझे एक छींक भी आती
मम्मी दादी न सो पातीं
मेरे साथ तो खेलते- खेलते
दादाजी का भी लौटा बचपन
कितना प्यारा मेरा बचपन
न कोई चिंता न कोई गम
अर्चना
अर्चना
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