कविता " माँ के रूप"


माँ के रूप


माँ के होते रूप हज़ार
हर एक रूप में करुणा प्यार
वो होती है दया की मूरत
 शहनशीलता का भण्डार
धरती माँ भी एक माँ है
अपनी गोद में लिया हुआ है
सभी जरूरी स्रोत दिये है
जिनसे जीवन पूर्ण हुआ है
जगदम्बा सबकी ही माँ हैं
भक्तजनों ने सदा कहा है
हर क्षण हैं वो रक्षा करतीं
जिसने माँ का नाम लिया है
मेरा भारत में जन्म हुआ है
माँ भारती से मैंने सीखा है
अनेकता में एकता जानी होती क्या है
भिन्न-भिन्न संस्कृतियों को पहचाना है
घर में मेरी भी एक माँ है
जिसने हर पल ध्यान रखा है
लगता है मेरे ही कारण
उसने अपना जनम लिया है
चाहें में जितना कर पाऊं
पर माँ के ऋण को चुका न पाऊं
हर जनम में चाहुंगा मैं



तुझ जैसी माँ फिर से पाऊँ

अर्चना

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