कविता "सुबह "

सुबह 


होती सुबह बड़ी मनोहारी 
चिड़ियां चहके प्यारी प्यारी
मुर्गा देता बांग कंही पर 
आंखे खोलें फूल भी उठकर
नया दिवस आरंभ है होता
कण कण में है उमंग को भरता

अर्चना

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