मन के विश्वास पर कविता"मन का विश्वास"
मै हू वो मन का विश्वास
जो कभी ना हारेगा
आंधी और तूफानों मे भी
आगे बढ़ता जावेगा
माना अभी है रात ने घेरा
कल तो सूरज आवेगा
फूल खिलेगा मन चेह्केगा
जीवन फिर मुस्कावेगा
हर दिन एक नयी चुनौती
करने आती मेरा पीछा
पर मैं अपने साहस से
देता उसपर अंकुश लगा
मेरी जां से भी ज्यादा है
मुझमे स्वाभिमान भरा
कोई दरिया न बहा सकेगा
यह मेरा मुझसे वादा रहा
न झुका हूँ न झुकूँगा
जब तक एक भी साँस बची
हिम्मत मेरी रंग लाएगी
यह सबसे होती दोस्त बड़ी
करने आती मेरा पीछा
पर मैं अपने साहस से
देता उसपर अंकुश लगा
मेरी जां से भी ज्यादा है
मुझमे स्वाभिमान भरा
कोई दरिया न बहा सकेगा
यह मेरा मुझसे वादा रहा
न झुका हूँ न झुकूँगा
जब तक एक भी साँस बची
हिम्मत मेरी रंग लाएगी
यह सबसे होती दोस्त बड़ी
मै हू वो मन का विश्वास
जो कभी ना हारेगा
आंधी और तूफानों मे भी
आगे बढ़ता जावेगा
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