शायरी"इश्क खता है "


इश्क 

इश्क खता है 
इश्क सजा है 
इश्क सभी को 
फिर भी हुआ है
लाख कोशिशें 
करी थीं हमने
फिर भी ना जाने
कैसे हुआ है
हम थे इस सब
से अनजाने
फिर भी बन गए
हैं अफसाने
आगे बढ़ें या
पीछे हट जाऐं
ये बात समझ
में ना आए
डर है ना कहीं
फिर पछताऐं
इस दरिया में 
ना फँस जाऐं
फिर भी दिल है
के ना माने
बस यार को ही
ये खुदा माने

अर्चना

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