तेरी दोस्ती का सहारा । एक अहसास भरी कविता
जब मैं था ग़मों से हारा
दिल तोड़ अपनों ने किया किनारा
तब तू आया जीवन में लेकर
तेरी दोस्ती का सहारा
तेरी दोस्ती का सहारा ।
कोई शर्त नहीं रखी तूने
ना कोई बंदिश ही मुझे गवारा
तब तूने मुझे बाहों ले
बड़े प्रेम से निहारा
बड़े प्रेम से निहारा ।
है , पराया तू मगर
पर करता है अपनों से ज़्यादा कदर
तेरे इस अनोखे अन्दाज़ पे
आज ये दिल भर आया
आज ये दिल भर आया ।
हंसाती मुझे तेरी हर बात है
तेरा साथ तो जैसे करामात है
जो तूने दिया ए दोस्त मुझको
ये बताने को कम मुझ पे अल्फ़ाज़ हैं
ये बताने को कम मुझ पे अल्फ़ाज़ हैं ।
मैं फिर से लगा हूँ चहकने लगा
अब फूलों से ज़्यादा महकने लगा
तेरी दोस्ती को पाकर के मैं अब
करता सुबह शाम उस रब का सौ बार शुक्रिया
सौ बार शुक्रिया
सौ बार शुक्रिया ।