कविता 'भारत के फौजी"

भारत के फौजी


भारत के फौजी को प्रणाम 
जो हैं मेरे देश की शान 
सीमा पर पहरा देते हैं
बारह महीने सुबह-शाम
सियाचिन पर डटे रहते 
शून्य से नीचे होता ताप 
रेगिस्तान की गर्म रेत पर 
सेवा करते दिन और रात 
देश में कोई संकट आता
सबसे पहले ये तैयार 
अपने प्राणों की आहुति दे 
बचायी हैं कितनों की जान 
सरहद पर ही मन जाती है 
इनकी होली और दीवाली 
अपनों से हैं मीलों ये दूर 
फिर भी लेते धैर्य से काम 
जब परिवारों संग बिताते 
लम्हा हम खुशियों का 
वो सीने पर खाके गोली 
कर देते हैं फर्ज अदा 
गर ना हो  फौजी सरहद पर 
चैन से ना सो पाये हर घर 
धन्य है मेरी भारत-भूमि


जिसने जन्मे ये शौर्य जवान 

अर्चना

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