मौसम आये मौसम जाए
और तू मुझको बहुत सताये
पंछी सारे लौट के आये
पंछी सारे लौट के आये
एक तू ही जो नज़र न आये
फीका सा है जीवन सारा
धुंध है छाई दिखे न किनारा
मेरी नईया अधर में पहुंची
मेरी नईया अधर में पहुंची
एक तू ही तो पार लगाये
मौसम आये मौसम जाए
और तू मुझको बहुत सताये
पंछी सारे लौट के आये
पंछी सारे लौट के आये
एक तू ही जो नज़र न आये
हंसती है मुझ पर तनहाई
संग चाँद के चांदनी आई
अंधियारे में मेरा साया
अंधियारे में मेरा साया
आये तू तो सब उजियारा
मौसम आये मौसम जाए
और तू मुझको बहुत सताये
पंछी सारे लौट के आये
पंछी सारे लौट के आये
एक तू ही जो नज़र न आये
मनभावन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत खूब