कविता"इक रस्ता"





इक रस्ता

ओ राही ओ राही

बढ़ता चल बढ़ता चल

आगे है इक रस्ता

मेहनत कर हिम्मत रख

तुझ में है तेरा खुदा

गिरने ने से न तू डर

बन आंधी बन तूफां

ओ राही ओ राही

बढ़ता चल बढ़ता चल

आगे है इक रस्ता

बाधा जो आती है

कुछ वो सिखा जाती

ऊँचा-नीचा होता है

जीवन पथ का रास्ता

ओ राही ओ राही

बढ़ता चल बढ़ता चल

आगे है इक रस्ता

मंजिल थोड़ी दूर है

पर तू ना मजबूर है

हाँ अंधियारों को चीरती

एक किरण उम्मीद की

ओ राही ओ राही

बढ़ता चल बढ़ता चल

आगे है इक रस्ता

अर्चना










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