कविता " छुट्टियां "




छुट्टियां 

मई जून का महीना आया 
गर्मी ने कोहराम मचाया 
और मां का फोन है आया 
छुट्टियों में घर पर बुलाया 

आधे कहते चलो हिलस्टेशन 
आधे कहते नानी के घर 
गर्मी से तो ज्यादा हो गई 
मुझे तो इन छुट्टियों की टेंशन 

कोई कहता बस से चलेंगे 
कोई कहता ट्रेन से 
एअर-टिकट पर है ऑफर 
बोले पतिदेव जोर से 

पिंकू बोले जिंस दिला दो 
चिंकी बोले फाॅग खरीदवा दो 
मिo तो बोले हैं के
जल्दी से मेरे डाई लगा दो 

रखली मैंने फेवरेट साड़ी 
और मैचिंग की चीज़े सारी 
रख लिया फोन का चार्जर 
आई हैंडिकेम की बारी 

हो गए  बुक टिकट हमारे 
आये हैं गॉगल्स भी प्यारे 
सबका मन बहुत खिला है 
मजा करेंगे ये सोचा है 

हो गई है पैकिंग ढेर सारी 
खाने में है पूड़ी तरकारी 
हमारी सवारी निकल पड़ी 
आप करें छुट्टियों की तैयारी 

अर्चना

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