कविता " वही डगर है नया सफ़र है"


वही डगर है नया सफ़र है


"इस कविता के माध्यम से एक स्त्री के द्वारा नई जिंदगी के सफ़र का चित्रण  किया गया है"


वही डगर है नया सफ़र है
लेकिन साथ नया हमसफ़र है
पहले की तरह न कोई उलझन है
बड़ा ही प्यारा हरएक पल  है

" न समझा था उसने मुझको
लाखों जतन कर के देखा था 
छोड़ दिया मैंने भी उसको
ठीक ही होगा जो होना है

सिर्फ औरत ही क्यों सहती
समाज की ये कैसी प्रथा है
ताना देना बस हैं जाने
न देखते की क्या व्यथा है

जुर्म सहना भी जुर्म होता 
यह भी तो सब को पता है
फिर भी डाला करते पर्दे
जो सब मर्दों ने किया है

पर कुछ होते बहुत खुले दिल
न करते जग की परवाह हैं
थामके हाँथ ऐसी नारी का 
बनाते नई एक प्रेम कथा हैं "

कुछ ऐसा ही मेरा हमनवा है
जो मेरी साँसों में बसा है
जिसने सूने जीवन में मेरे
अपनी चाहत से रंग भरा 

अब जाना के होता प्यार क्या है
 हाँ जाना सच्चा प्यार क्या है
 
अर्चना


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