जो बीत गया
"इस कविता में बीते हुए कल को भुला देने की सीख दी गई है "
जो बीत गया
सो बीत गया
अब उस बेकार भरे पल का
बार -बार क्यों पछतावा करता
कल फिर नया
आएगा मौका
उसकी तैयारी में जुट जा
न वक़्त गवां
तू यहाँ वहां
सबको ही बुलाता है रस्ता
जो समझे इशारा उसका
यही तो है बेहतर होता
तू अलग हुआ तो
क्या हुआ
सब ही में कुछ न कुछ
गुण होता
अर्चना
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