कविता " स्कूल के वो दिन"

 

 

                                           स्कूल के वो दिन



 

"इस कविता में एक युवती अपने स्कूल के प्यारे -प्यारे दिनों को याद कर रही है"


 

नहीं भूलते स्कूल के वो दिन
क्या बतलाएं के क्या थे वो दिन
कितने ही प्यारे थे वो दिन
काश आ जाते फिर से वो दिन

वो गपशप और वो याराना
वो मिलकर के लंच भी खाना
वो शैतानी और वो नादानी
टीचर को मिलकर के सताना
कितने ही प्यारे थे वो दिन
काश आ जाते फिर से वो दिन

कभी-कभी क्लास को बंक करना
सीढ़ीयों पर बैठ के गाने गाना
कैन्टीन में जाकर धूम मचाना
पेप्सी पीना और बर्गर खाना
कितने ही प्यारे थे वो दिन
काश आ जाते फिर से वो दिन

वो टीचर्स डे की तैयारियां
वो क्लास को बढ़िया से सजाना
कभी साईकिल से रेस लगाना
तो  प्रेयर में बहुत फुसफुसाना
कितने ही प्यारे थे वो दिन
काश आ जाते फिर से वो दिन

कभी अन्ताक्षरी पर जमकर थिरकना
गोलगप्पे खाकर आंसू भी बहाना
छुट्टियाँ पड़ने पर उदास हो जाना
और दोस्तों का बड़ा याद आना

बड़ी जल्दी बीत जाते हैं वो दिन
कितने ही प्यारे थे वो दिन
हमने तुमने जिये थे जो दिन
कितने ही प्यारे थे वो दिन
कितने ही प्यारे थे वो दिन
कितने ही प्यारे थे वो दिन
 
अर्चना








कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें