मेरी एक है सहेली
"इस कविता में एक लड़की ने अपनी सहेली की बातें बताई हैं"
मेरी एक है सहेली
जो मुझे है जान से प्यारी
उसके बिन एक दिन की
मैं नहीं कल्पना करने वाली
वो मेरे संग नित्य ही
स्कूल को है जाने वाली
कुछ न हूँ मैं छुपा ही पाती
वो मेरी आँखें पढ़नेवाली
मुझपे अपने प्यार को
वो तो है हर दम लुटाये
गर मैं कभी खाना न लाऊं
अपने हिस्सा का मुझे खिलाये
साथ मेरे खेलती बहुत
गिट्टे और छुपम -छुपाई
मुझको तो लगता है के
जान मेरी उसमे है समायी
कोई मुझसे टेढ़ा बोले
तो उसकी फिर शामत आई
करती है उसकी फिर वो
घंटों तलक जमकर खिंचाई
जो मेरी पसंद का होता
वो फट से है समझ ये जाए
अपनी लाकर देती है मुझको
किताबें हो या नई ड्रेस हो लाई
बहन की कमी
पूरी की है उसने
उसने ही गलती पर
है डांट लगाई
मैं थी बहुत ही
भोली- भाली उसने
फिर हाथ पकड़ के
सब राहें समझाईं
काश उसके जैसी सहेली
आप को भी ज़रूर मिल जाये
(अर्चना)
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