गज़ल "जब से तुझसे इश्क हुआ है"


जब से तुझसे इश्क हुआ है


"इस गजल में इश्क के जादू को बयां किया गया है"



जब से तुझसे इश्क हुआ है
हर एक ख्वाब में तू ही बसा है
छाई है कैसी ये खुमारी
कोई ना मुझको बता सका है

हर आहट पे दिल धड़का है
लगता है जैसे तू आया है
मेरी नहीं सब तेरी खता है
के सब ही में तू दिखता है
के सब ही में तू दिखता है
छाई है कैसी ये खुमारी
कोई ना मुझको बता सका है

मैने कोई खत लिखना चाहा 
तेरा ख्याल ही जहन में आया
नाम से तेरे वो खत भर डाला
और नहीं मैं कुछ भी लिख पाया
और नहीं मैं कुछ भी लिख पाया
छाई है कैसी ये खुमारी
कोई ना मुझको बता सका है
जब से तुझसे इश्क हुआ है
हर एक ख्वाब में तू ही बसा 


जब से तुझसे इश्क हुआ है
हाँ इश्क हुआ है
हाँ इश्क हुआ है
हाँ इश्क हुआ हैऐऐऐऐऐ  
 
(अर्चना)
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें