कविता " आओ होली जम कर खेलें"


आओ होली जम कर खेलें



आओ होली जम कर खेलें
गिले-शिकवे सब को भूलें
और जीवन रंगीन बनाएं
सबको ऐसे गुलाल लगाऐं

क्यों ना आने-जाने वालों को हम
आज अपनी पिचकारी से नहलाऐं
भांग की ठंडाई इतनी पिलाए कि
वो झूमता दिन भर  ही जाये

आज पड़ोस की भाभी से भी
थोड़ी हँसी ठिठोली कर आयें
मेक अप के ऊपर थोड़ा सा
गोल्डन कलर का टच दे आयें

डाँटने वाले अँकल से हम
बाॅल नहीं आशिष ले आयें
बहुत सताया हमने साल भर
रंग लगा के आज पैर छू आयें

गली के छोटे- छोटे बच्चों की
आज बड़ी- बड़ी मूँछ बनाये
पर याद रहे कि गुब्बारे से 
चोट किसी को ना लग पाये

गुजिया और दही भलले खाकर
हंसी-खुशी सब होली को मनाऐं
तो फिर बहुत मजा आ जाये
तो फिर बहुत मजा आ जाये

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