कविता"आ जाओ सनम देखो "


आ जाओ सनम देखो हम तो
तरसे हैं
बाकि इस दुनिया में 
सारे हर्षे हैं
परदेस में तुमको
दिन बहुत हुए हैं
इंतजार में तुम्हारे 
नैना थक गये हैं
आ जाओ सनम देखो हम तो
तरसे हैं

कलियाँ जो खिल गयीं
तो भँवरा भी
गुनगुना उठा
मैना की पुकार पे
तोता मुसकुराता
हुआ आ गया
देखो सनम अब ना
हम सब् कर पाएं
देखो सनम अब ना
हम सब् कर पाएं
रूठ गये इस बार
तो तुम रहोगे पछताये
हाँ रहोगे पछताये

देखो त्यौहार अब
रंगों का 
आ गया
ले आओ तुम 
नौकरी से
थोड़ी सी
छुट्टियां 
हम तो सिर्फ तुम्हारे 
प्रेम में रंगना चाहें
हम तो सिर्फ तुम्हारे 
प्रेम में रंगना चाहें
के बिन तुम्हारे कोई
खुशी नही भाए
हमें खुशी नही भाए


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