कविता "प्यार की सौगात "

प्यार की सौगात 




भूख नहीं प्यास नहीं
प्यार की सौगात यही
ना लगे है दवा दुआ
कांटों भरी रात हुई
चैन गया नींद गयी
नजरें उनसे चार हुईं
भूल गये अपना पता
रह गये बस याद वही
अपने वही गैर वही
दूसरा ना और कोई
इंतजार में उन्ही के
राह में आँखे हैं डटी

अर्चना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें