सूफी "ख्वाजा के दरबार में"



ख्वाजा के दरबार में


हो ख्वाजा के दरबार में, हो ख्वाजा के दरबार में

किस्मत खुल जाती है, हो ख्वाजा के दरबार में

मुश्किल हल होती है ,हो ख्वाजा के दरबार में

 हो ख्वाजा के दरबार में, हो ख्वाजा के दरबार में


सजदे में सर जो झुकाता है ,ख्वाजा की इनायत पाता है

रोता हुआ आया था जो, मुस्काता हुआ जाता है

हो ख्वाजा के दरबार में, हो ख्वाजा के दरबार में

किस्मत खुल जाती है, हो ख्वाजा के दरबार में

मुश्किल हल होती है ,हो ख्वाजा के दरबार में


बेबस जो कोई भी आता है,ख्वाजा को दुखड़ा सुनाता है

बाबा रहमत कर देते हैं,झोली उस की भर देते हैं

हो ख्वाजा के दरबार में, हो ख्वाजा के दरबार में

किस्मत खुल जाती है, हो ख्वाजा के दरबार में

मुश्किल हल होती है ,हो ख्वाजा के दरबार में


हो ख्वाजा के दरबार में, हो ख्वाजा के दरबार में

हो ख्वाजा के दरबार में, हो ख्वाजा के दरबार में

अर्चना










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