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यह ब्लॉग नई और रोचक हिन्दी भाषा की कविताओं ,भजनों,गीतों इत्यादि से सुसज्जित है|सभी कृतियां मेरे द्वारा लिखित हैं और इनका कहीं भी प्रकाशन अवैध है | कुछ चित्रों को गूगल इमेजेस से लिया गया है | लेखिका : अर्चना
गजानन प्यारे । गणेश जी का नया भजन
मेरे कान्हा ,जल्दी से आजा । कृष्णा भजन
मेरे कान्हा ,जल्दी से आजा । कृष्णा भजन
ओ मेरे कान्हा ,जल्दी से आजा ,तेरी राह तके है राधा
नैना हुए बावरे तेरे दर्श बिना ,आजा जल्दी से तू अब ना और सता
आजा जल्दी से तू अब ना और सता
चाहे यमुना तीर बुला ले ,चाहे कुंज ग़लिन में आ रे
मैं तो भागी आऊँगी चाहे ताने ये जग मारे
अब लगन लगा ली है तुमसे,अब लगन लगा ली है तुमसे
कोई मुझको रोके ना
चाहे दिन चढ़ते ही बुला ले ,चाहे अंधियारे में आ रे
मैं तो उड़ती आऊँगी बनकर चंचल चिड़िया रे
अब लगन लगा ली है तुमसे , अब लगन लगा ली है तुमसे
कुछ मुझको सूझे ना
चाहे गैया संग तू आ रे ,चाहे गवाले संग हो सारे
मैं तो मिलने आऊँगी छम छम पायल को बजा के
अब लगन लगा ली है तुमसे , अब लगन लगा ली है तुमसे
फिर काहे की चिंता
ओ मेरे कान्हा ,जल्दी से आजा ,तेरी राह तके है राधा
नैना हुए बावरे तेरे दर्श बिना ,आजा जल्दी से तू अब ना और सता
आजा जल्दी से तू अब ना और सता
तेरे आँचल की छाया में
तेरे आँचल की छाया में
बीता हर पल सुकून से
तेरी मिट्टी की ख़ुशबू से
जीवन कितना खूब लगे
मैं ख़ुशक़िस्मत जन्मा यहाँ पे ,मैं ख़ुशक़िस्मत जन्मा यहाँ पे
अब तो है मेरा सपना यही ,अब तो है मेरा सपना यही
तुझको मैं देखूँ हर रोज़ बढ़ते ,तुझको में देखूँ सजते - संवरते
सजते - संवरते ।
मेरा ये यौवन मेरी ये काया
चित्त भी मेरा और मेरा साया
तुझ से जुड़ा है तुझ से बना है
मेरी तो नस- नस में तू रमा है
कभी भूलूँ ना तुझको कभी छोड़ूँ ना तुझको
चाहे जो भी हो जाए ये गगन गिर भी जाए
मेरी बाहों से तुझ को कोई छुड़ाने ना पाए
मेरी बाहों से तुझ को कोई छुड़ाने ना पाए
हाँ छुड़ाने ना पाए ।
आशा के दीपक में यू ही जलाऊँ
तेरे माथे पर हर साल मैं चंदन लगाऊँ
तेरी शान की ख़ातिर ,ऐ देश मेरे
तेरी शान की ख़ातिर ,ऐ देश मेरे ,ऐ देश मेरे
मैं सौ जन्मों तक अपने प्राण गवाऊँ
अपने प्राण गवाऊँ
अपने प्राण गवाऊँ ।