"कुछ बाबाजी"
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यह ब्लॉग नई और रोचक हिन्दी भाषा की कविताओं ,भजनों,गीतों इत्यादि से सुसज्जित है|सभी कृतियां मेरे द्वारा लिखित हैं और इनका कहीं भी प्रकाशन अवैध है | कुछ चित्रों को गूगल इमेजेस से लिया गया है | लेखिका : अर्चना
कुछ बाबाजी
किस तरफ़ चला इंसान
किस तरफ़ चला इंसान,ये किस तरफ़ चला इंसान
बना रहा शमशान हाँ हर जगह बना रहा रहा शमशान
थोड़ा वर्चस्व बनाने को थोड़ा अपनी सत्ता बढ़ाने को
ले रहा है जान मासूमों की ले रहा है जान ,
दिखाता है शान इस में भी दिखाता है शान
देखो सोचो और सुनो ,मासूमों को मार कर तुम ना कोई प्रगति कर पाओगे
तुम भी तो एक ना एक दिन अपने दुश्मनों की हैवानियत के शिकार हो जाओगे
इस हवा में जो जमकर ज़हर घोल रहे क्या तुम कहीं और साँस लेने जाओगे
क्या फ़ायदा हुआ तुम्हारी ऊँची ऊँची डिग्रियाँ पाने का
जब तुमने दिल से दिल जोड़ना सीखा नहीं
क्या फ़ायदा हुआ तुम्हारा इतनी शक्ति अर्जित करने का
जब अपने अंदर की इंसानियत को ही तुमने ठोकर मार दी
इंसान हो अगर तो अमन शांति फेलाओ
इंसान हो अगर तो आपस में प्रेम बढ़ाओ
इंसान हो अगर तो सबका दिल जीत के दिखाओ
तेरी दोस्ती का सहारा ।एक अहसासभरी कविता
तेरी दोस्ती का सहारा । एक अहसास भरी कविता
जब मैं था ग़मों से हारा
दिल तोड़ अपनों ने किया किनारा
तब तू आया जीवन में लेकर
तेरी दोस्ती का सहारा
तेरी दोस्ती का सहारा ।
कोई शर्त नहीं रखी तूने
ना कोई बंदिश ही मुझे गवारा
तब तूने मुझे बाहों ले
बड़े प्रेम से निहारा
बड़े प्रेम से निहारा ।
है , पराया तू मगर
पर करता है अपनों से ज़्यादा कदर
तेरे इस अनोखे अन्दाज़ पे
आज ये दिल भर आया
आज ये दिल भर आया ।
हंसाती मुझे तेरी हर बात है
तेरा साथ तो जैसे करामात है
जो तूने दिया ए दोस्त मुझको
ये बताने को कम मुझ पे अल्फ़ाज़ हैं
ये बताने को कम मुझ पे अल्फ़ाज़ हैं ।
मैं फिर से लगा हूँ चहकने लगा
अब फूलों से ज़्यादा महकने लगा
तेरी दोस्ती को पाकर के मैं अब
करता सुबह शाम उस रब का सौ बार शुक्रिया
सौ बार शुक्रिया
सौ बार शुक्रिया ।