rakshabandhan par paanch kavitayein

rakshabandhan par paanch kavitayein

भाई-बहन का बंधन
भाई-बहन का बंधन
हर बंधन से सुहाना
नज़र लगे न किसी की
ये तो है सदियों पुराना
भाई की कलाई पर
बांधा बहन ने अपना प्यार
भाई भी आतुर रहे
करे पूरी बहन की चाह
पर ज़रूरी भी नहीं कि
कोई तोहफा भाई संग हो
सबसे ज़रूरी बात बस
“मेरा भैया सदा खुश हो ”
बचपन में बांटे खिलौने
अब बाँट रहे ये सुख-दुःख
निकल गया हँसते गाते
ये जीवन सुहाना
मेरे भैया जल्दी आना
मेरे भैया जल्दी आना
राह तक रही है बहना
साथ में भाभी बच्चे हो तो
मज़ा बहुत तब हो
मैंने बनाई बहुत मिठाई
संग में है कचौड़ी और दही
सब तुम को पसंद आएगा
मैं तो तड़के से हूँ लगी
उपहारों की पूंछते हो तो
वो लाना जो लगे सही
और तुम खुद ही समझदार हो
अब पायल मेरी ओल्ड फैशन हुई
टिंकू कह रहा मामा से कहना
बस एक दो खिलौने ला दें मामाजी
और चिंकी भी बोल रही है
मुझे मिल जाये सैंडल बाटा की
बस तुम भैया ध्यान से आना
सीट बेल्ट कस लेना भी
वरना झटके बहुत लगेंगे
हमारे गांव की सड़क है टेढ़ी मेड़ी
अबकी बार तो रक्षाबंधन पर
रौनक होगी बहुत सजी
कई साल बाद बड़ी जीजी भी
ले कर आ रही हैं राखी
बहना फिर आना
रक्षा-बंधन के अवसर पर
मिल जायेंगे भाई-बहन
जो भी गिला और शिकवा होगा
दूर करेंगे भाई बहन
भाई को ये बात ना भाती
बहना केवल चार दिनों को आती
बहन भी अब तो बता-बता थकी
कि बच्चों के स्कूल और टूशन
मैं तो हूँ घर में ही फँस जाती
जब भी हैं मिलते राखी पर
पता नहीं शाम कैसे हो जाती
अभी-अभी तो आई थी बहना
दिल की बातें और कर पाती
पर ये तो हर घर की प्रथा है
बहन की सुसराल में नन्द को आना है
इसीलिए” बहना फिर आना ”
भाई ने यह हंसकर कहा है
बहना भी मुस्कुराकर कह देती
अगली बार सुनाएंगे दोनों
भूली और बिसरी हमारी कहानी
छोटा भाई
छोटा भाई है जब से आया
बहना नहीं फूली समाई
पहले रक्षा- बंधन के लिए
बहन ने है खुद थाली सजाई
खुद है अभी बस तीन बरस की
लेकिन कर रही माँ की अगवाई
लाई है चुन के नए- नए क़पड़े
और माँ संग अब बनवाती है मिठाई
वो माला लाई है चन्दन भी लाई
और चूड़ी से भरी अपनी भी कलाई
कई दिनों से रोज बाजार थी जाती
लायी है प्यारे भैया के लिए
वो तो सुंदर सी दस -दस राखी
मतलब भी अभी रक्षाबंधन का
शायद ही वो जान है पाती
लेकिन भैया का मोह ऐसा होता
जिस को हर छोटी सी बच्ची
खुद ब खुद ही समझ है जाती
दूर देश जो रहती बहना
दूर देश जो रहती बहना
भैया को भेजी है राखियां
दूर भले ही वो तो रहती
मन तो उसका स्वदेश रमा
रक्षा-बंधन वाले दिन उसने
भैया को वीडियो कॉल किया
छोटी बच्ची से ,भाई की उसने
बंधवाई सुबह ,जो भेजी राखियां
फिर कम से कम एक घंटे
भैया का पूरा हाल -चाल लिया
भाभी तुमने क्या -क्या बनाया
कॉल पर ही मुआयना कर लिया
बोली अगले साल जब आऊंगी
खाऊँगी जीभर मूंग दाल हलवा
आकर लूंगी महंगा गिफ्ट कोई
ये तुम पर भैया उधार रहा
बहन से मिलकर भैया का
चेहरा फिर तो चमक गया
बोला जल्दी आजा गुड़िया
मैं तो कब से रस्ता देख रहा

प्रकृति के विकट रूप पर कविता "ये कैसी आफत आई है "

प्रकृति के विकट रूप पर कविता "ये कैसी आफत आई है "

दोस्तों हम सब आज कल कोरोना नामक प्रकृतिक आफत को झेल रहे हैं | लाखों लोगों को इस  बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है | मगर जाने अनजाने हम सब ही इस आपदा के ज़िम्मेवार भी हैं|प्रकृति के विकट रूप पर कविता "ये कैसी आफत आई है " हमारी इस रचना में इसी विषय को बताया जा रहा है |
प्रकृति के विकट रूप पर कविता "ये कैसी आफत आई है "


ये कैसी आफत आई है
ये कैसी आफत आई
कोई मिलता नहीं उपाय है
कोई मिलता नहीं उपाय
इसने बनाया छोटे को भी मजबूर
वो भी अब रोता जो कल करता गुरूर
इस ने तुम्हें घरों  में कैदी बनाया
कुछ तो गलत किया होगा सब करो भरपाई
क्यो ना सोचा हवाओं में जब जहर था घोला
काटे हर दिन पेड़ और पशुओं को मारा
क्या तुमने अकेले धरती की रजिस्ट्री कराई        
क्या तुमने अकेले धरती की रजिस्ट्री कराई
सब पक्षी तड़पते थे तुम्हें दे दे दुहाई
अब लगता है कैसा जब तुम्हारी शामत आई
सिर्फ अपनी सुविधा की तुमने चीजें जुटाई
और प्रकृति की एक- एक श्रंगार चुराई
बस नाम को कहते तुम इसे धरती माँ
माता संग तुमने ना सच्ची प्रीत निभाई
अब भी बहुत कुछ बच सकता
अगर हमने सुधरने की राह अपनाई
तो  आज से नई शुरवात करो
अगर चाहते आने वाली पीढ़ी की भलाई
तुम पेड़ लगाओ सौर ऊर्जा अपनाओ
पालिथीन छोड़ो घर जूट बैग ले आओ
सब जीवों से भी प्रेम करो
सब थोड़ा थोड़ा दो जिस से वो भी जी पाएँ
हमेशा बाइक ही नहीं पैदल भी चलो
कहीं जाना सब को हो तो गाड़ी पूल करो
छोटी बातों की होती है अहममियत बड़ी
क्योंकि हमने सुना था वो है बिलकुल सही
एक-एक बूंद से ही तो भरती है मटकी


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"online padhai " funny poem

"online padhai " funny poem


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फ़्रेंड्स आपका स्वागत है हमरे ब्लॉग में दोस्तो आजकल lockdown की वजह से हर कोई ऑनलाइन पढ़ाई करता है इसी पर पेश है हमारी पोस्ट ""online padhai " funny poem"

लाकडाउन के साथ ही
ऑनलाइन पढ़ाई जब शुरू हुई 
अब तो बच्चों के साथ में पढ़ें मम्मी ,डेडी , दादी भी 

लगता घर में हो खुला स्कूल
सब टाइम पर उठने को मजबूर
सब को चुप चाप बैठने की आदत जैसे हो गयी 
ऑनलाइन पढ़ाई जब शुरू हुई 

अब नहाना भी जल्दी हो जाता 
ब्रेकफ़ास्ट समय से मिल जाता
पहले जो मम्मी ना ग्रुप में थी अब बैठती वो भी बनी ठनी 
ऑनलाइन पढ़ाई जब शुरू हुई 

लेकिन क्लासेज के बीच में ही
हो जाती कभी कभी कॉमेडी 
" स्वच्छ भारत का इरादा " की आवाज़ें आने लगती मैडम के माइक से ही 
ऑनलाइन पढ़ाई जब शुरू हुई 

एक बात सुन तुम्हें आएगी और हंसी 
एक दिन मेरे दोस्त की  कैमरा ओपन थी 
बेड पर सोए दादा जी और बड़ी ज़ोर ज़ोर के उनके खंराटे भी  
ऑनलाइन पढ़ाई जब शुरू हुई 

लेकिन इतने पर भी कभी कभी
छोटे बच्चे कर देते शैतानी
कोई किसी को म्यूट कर देता और कोई लगाता attendance झूठी  
ऑनलाइन पढ़ाई जब शुरू हुई

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लॉकडाउन पर हास्यकविता "इंडिया में जब लॉकडाउन लगा"

लॉकडाउन पर हास्यकविता  "इंडिया में जब लॉकडाउन लगा"

दोस्तों आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर | फ़्रेंड्स आज हम आपको हंसाने के लिए एक लॉकडाउन पर हास्यकविता  "इंडिया में जब लॉकडाउन लगा" लेकर आए हैं उम्मीद करते हैं कि ये आप ज़रूर पसंद करेंगे|

लॉकडाउन पर हास्यकविया "इंडिया में जब लॉकडाउन लगा"

इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
तो एक दम था जैसे सदमा लगा 
अब धीरे- धीरे आदत हो गयी
 सब ने मन बहलाना सीख लिया 
कोई खोया दिन में भी खयाबों में 
कोई डूब गया हो जैसे किताबों में 
आज पड़ोस के अंकल जी ने भी
सिलाई मशीन पर हांथ आजमा लिया
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
आज भाभी ने फुनवा मिला लिया
दूर की चाची की ननद की पोती का हाल लिया 
बोली थी एक मिनट भर बात कर लूँ 
अब दो घंटा हुआ बात न खतम हुआ 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
मम्मी को तो सुनहरा मौका मिला 
पापा को काम पर लगा दिया
घर के एक -एक कोने से
मकड़ी का जाला झड़वा ही लिया
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
देखा गया  बहुत पतियों पर भी 
बाबरची बनने का भूत चढ़ा
डिश तो घरवालों ने जैसे-तैसे झेली
पर किचन को पूरा उल्टा-पुल्टा किया 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
दादीजी का भी लो समय वापस आया  
रामायण,महाभारत का मजा लिया 
कोविड उनको ना हो जाए
सब ने उनका अच्छे से ध्यान रखा 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा
बच्चों को मिली स्कूल से छुट्टियाँ 
हर खेल का मजा घर पर ही लिया 
मैंने भी कई सिक्सअर मार-मार कर 
राम ही जाने कितने सामानों  को तोड़ दिया 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 
इंडिया में जब लॉकडाउन लगा 



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ye jo safar he song on corona disease | corona bimari par ek gana |कोरोना सॉन्ग |one song on corona | कोरोना वाइरस पर गाना


ye jo safar he song on corona disease | corona bimari par ek gana | one song on corona | कोरोना वाइरस पर गाना | कोरोना सॉन्ग 

दोस्तो आज हम एक कोरोना सॉन्ग लाये है जो की बड़ा motivational है |
कोरोना सॉन्ग


ये जो सफर है सब हमसफर हैं
बैठे हैं घर पर क्योंकि फिकर है
न हांथ थामे बस लेते खबर हैं
फिर भी सब हमसफर हैं |

कांटेगे घड़ियां ये जो विकट हैं
खा लेंगे मिलके जो घर में बने है
परिवार के संग सब कुछ सरल है
क्योंकि सब हमसफर हैं |

अदृश्य शत्रु जो आया निकट है 
एक स्वच्छता ही अब हमारा शस्त्र है 
बस संयम है रखना दिखानी समझ है 
क्योंकि सब हमसफर हैं |

हम जीतेंगे बाज़ी ये पक्का पता है 
जो वादा खुदी से वो ही सबसे किया है 
हमें परिवार समाज और देश ही  नहीं 
 इंसानियत को बचाना है
इंसानियत को बचाना 

#gocorongo #coronasong #motivationalsong #hindisong 
friends आप ये गाना anchor.fm भी सुन सकते हैं लिंक नीचे है |
https://anchor.fm/archana-saxena/episodes/Motivational-Song-on-corona-disease-sab-hamsafar-hain-ebv5r7












माँ की याद में एक गीत "जब से मेरी माँ तू चली गयी"

माँ की याद में एक गीत "जब से मेरी माँ तू चली गयी"

माँ की याद में एक गीत "जब से मेरी माँ तू चली गयी"

ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
जब से मेरी माँ तू चली गयी
तब से होंठों की हंसी छिन गयी
पहले रहता था बन कर बे-फिकर
अब तो लगती है मुश्किल हर घड़ी
क्योंकि
तू तो थी दोस्त मेरी
तू तो थी हमदर्द मेरी
तुझ से कुछ भी..... ना .....छुपा
तू तो थी हमराज़ मेरी
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ 
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
जब कोई गलती मैंने की
तूने मुझे प्यार से सलाह दी
पाला मुझे जाने कितने नाज़ों से
गम की छाया तो बिल्कुल ना आने दी
क्योंकि 
तू तो थी दोस्त मेरी
तू तो थी हमदर्द मेरी
तुझ से कुछ भी..... ना .....छुपा
तू तो थी हमराज़ मेरी
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ 
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
इम्तहानों में ना आए नंबर मेरे बड़े
पर तूने मुझे कभी ना ताने दिये
बोला हंस कर के ना उदास हो बेटा
कल फिर आ जाएंगे जीवन में मौके नए
क्योंकि 
तू तो थी दोस्त मेरी
तू तो थी हमदर्द मेरी
तुझ से कुछ भी..... ना .....छुपा
तू तो थी हमराज़ मेरी
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ 
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
अब तो मन भी उदास है
दिखती ना कोई आस है
चुटकी में करदे जो सबकुछ हल 
वो फरिश्ता ना मेरे पास है
ओ माँ ..........................