कविता " भारत देश निराला "


 

भारत देश निराला

"प्रस्तुत कविता में देश की अदभुत विशेषताएँ बताई गयी हैं"

कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
कहीं है मंदिर कहीं है मस्जिद
और कहीं पे गुरुद्वारा
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
कितनी सारी यहाँ हैं भाषा
भिन्न-भिन्न संस्कृति वाला
कहीं है पर्वत मरू कहीं है
मैदानी स्थलों वाला
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
कितने सुंदर किले खड़े हैं
ताजमहल भी यहीं मिले है
एक बार जो यहाँ पे आए 
वो न वापस जाने वाला
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
कितने ही त्यौहार यहाँ हैं
कभी ईद कभी दुर्गापूजा है
हर्ष उल्लास मनाते मनाते
निकल जाता वर्ष सारा
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
गंगा यमुना यहीं बहें हैं
राम -कृष्ण यहीं जन्मे हैं
राणा प्रताप, लक्ष्मीबाई की
सुनी है सबने शौर्य गाथा
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
कही पे पूरी-भाजी बिके  है
कहीं कुल्हड़ में लस्सी दिखे हैं
गुजिया और पेड़े की खुशबू से   
 मंत्रमुग्ध करने वाला  
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
कोई  बोलता भोजपुरी
 कोई बोले बंगाली
कोई करता भरतनाट्यम
और भंगड़ा करता है कोई
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
आदर- सत्कार बहुत यहाँ है
सभ्यता की बड़ी मान्यता है
हमने ही तो अतिथियों को
माना जैसे  के  देवता हैं
कितना विशाल कितना प्यारा
मेरा भारत देश निराला
एक और देशभक्ति से जुड़ी बालकविता पढ़ें
"फौजी"

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/08/30.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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