कविता "मिल गया है यार मुझको"

 

 

 

"इस कविता में एक प्रेमी ने अपने यार की तारीफ़ की है|"

 
 
 
मिल गया है यार मुझको
अब नहीं कुछ माँगना
ऊपर वाले मेरा तुम को
बार बार शुक्रिया
यार की बाँहो में ही तो
मेरे दोनों हैं जहाँ
यार की आँखो में दिखती
मुझको सारी कायनात
यार ही मेरा धर्म है
यार ही मेरा कर्म
यार ही सांसो में बसता
वो ही है दिल की धड़कन
मैं रहूँ या ना रहूँ
पर यार को रखना सदा
अगर करे खता वो कोई
मिल जाये बस मुझे सजा
 
 
अर्चना

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