कविता "बेटी कितनी प्यारी"




 बेटी कितनी प्यारी


खुशियों की  चाबी है  वो  और  अंगना  की फुलवारी
हां बेटी कितनी  प्यारी है हां बेटी कितनी  प्यारी  है
अपनी  बातों से  पूरे  घर को हर दम  वो  चहकाती है
हंसी ठिठोली  जब करती है सबके  मन को  भाती है

छोटे-छोटे  भाई-बहन संग टीचर जब बन जाती है
ऐसी  डांट  लगाती है  कि  सबकी शामत  आती है
मम्मी  की वो नकल है  करती पहन के  साड़ी आती है
ऐसा मेकअप  करती है  के अप्सरा शर्माती है
अब वो थोड़ी  हुई  सयानी फिर भी  जारी है  मनमानी
ऐसे सबका ध्यान  है रखती जैसे  सबकी हो वो नानी
कुछ दिनों के  बाद  जब अपने  सजना घर जायेगी
इस  घर के  हर एक कोने को याद  वो हर पल आयेगी
चाही थी बस एक बेटी  और  मिल गयी खुशियां सारी हैं
हां बेटी कितनी  प्यारी है   हां बेटी कितनी  प्यारी  है

अर्चना


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