कविता"जोकर"



जोकर


जोकर बनना  नहीं आसान 
होता बहुत  कठिन ये काम 
ना जाने कितने ही दुखों को 
इसने तो छुपाया है 
पर  अपनी हर एक अदा से 
सबका दिल बहलाया है 
अपने इस मेकअप से इसने 
ढक ली उलझन सारी है 
उछले कूदे हंसे-हंसाये
  मानो एक मदारी है 
तेड़े-मेड़े  रंग -बिरंगे
 कपड़े पहना करता है 
खुद का सूना जीवन है 
औरों  में  रंग  वो भरता है 
हंसता है कभी गाता है 
और कभी गिर जाता है 
बचपन से बुढ़ापे तक
सर्कस में जीवन बिताता है 
रोते बच्चों को दे जो हंसा 
ये कला सभी के पास नही 
इनको एक सलाम करें
मैं कहना चाहूं बात यही 

अर्चना





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