कविता"जो बीत गया"

 
जो बीत गया

"इस कविता में बीते हुए कल को भुला देने की सीख दी गई है "


जो बीत गया
सो बीत गया
अब उस बेकार भरे पल का 
बार -बार क्यों पछतावा करता
कल फिर नया 
आएगा मौका 
उसकी तैयारी में जुट जा
न वक़्त गवां
तू यहाँ वहां
सबको ही बुलाता है रस्ता
जो समझे इशारा उसका 
यही तो है बेहतर होता
तू अलग हुआ तो 
क्या हुआ
सब ही में कुछ न कुछ
गुण होता
 
अर्चना




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