दिवाली पर कविता | मेरे साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
सबके
दिलों से नफरत को मिटवा दो
बस
प्रेम ही चारों ओर चमका दो
मेरे साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
भाईचारे
का पैगाम फैलवा दो
बस अमन
भरे कल को दिखला दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
कोई रोए
ना दो जून की रोटी को
सबको
सुंदर पौशाकें दिलवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
किसी भी
मासूम का न घर टूटे
बिछड़ों
को भी अपनों से मिलवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
जो भटक
गये सुमार्ग के पथ से
उनको
भी तुम सही मार्ग दिखा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
हम भूल
जाएँ कड़वी बोलियों को
आपका
नाम सबकी जुबां पर रटवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
हम
मूर्ख, अज्ञानी
बहुत ज्यादा हैं
हम सब
में ज्ञान की ज्योत जलवा दो
मेरे साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
मेरे
साँई ऐसी दिवाली मनवा दो
दिवाली पर कविता | हम दीपावली उत्सव मना रहे हैं
दीप जला के घर सजा रहें हैं
हम दीपावली उत्सव माना रहे हैं
बच्चे आतिशबाजी छुड़ा के
देखो कैसे नाच रहे हैं
खील-बताशे और मिठाइयाँ
सब एक दूजे को बाँट रहे हैं
शुभ दिन आज राम घर लौटे
घर-आँगन इसलिए सजा रहे हैं
लक्ष्मी गणेश की पूजा कर
सब का मंगल यह माँग रहे हैं
बुराई पर अच्छाई है जीती
दीवाली के दीयों से प्रकाश फैला रहे हैं
दीप जला के घर सजा रहें हैं
हम दीपावली उत्सव माना रहे हैं
दीप जला के घर सजा रहें हैं
हम दीपावली उत्सव माना रहे हैं
बच्चे आतिशबाजी छुड़ा के
देखो कैसे नाच रहे हैं
खील-बताशे और मिठाइयाँ
सब एक दूजे को बाँट रहे हैं
शुभ दिन आज राम घर लौटे
घर-आँगन इसलिए सजा रहे हैं
सब का मंगल यह माँग रहे हैं
दीवाली के दीयों से प्रकाश फैला रहे हैं
दीप जला के घर सजा रहें हैं
हम दीपावली उत्सव माना रहे हैं
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