कविता "ऐ मालिक"


ऐ मालिक


"इस कविता में मालिक (भगवान )से सभी के लिए सुख की मांग की गई  है"


ऐ मालिक ऐसा हो जाता
दुनिया से झगडा मिट जाता
हर जगह हिंसा के शिकार दिखेंगे
रोते बिलखते लोग मिलेंगे
कुछ तो होगा तुझ पर उपाय
 इसका नामों-निशां भी मिट जाता
ऐ मालिक ऐसा हो जाता
दुनिया से झगडा मिट जाता
कितनों को है आतंकियों ने मारा
उनकी पत्नियों का सुहाग उजाड़ा
कितने ही बच्चे अनाथ हुए
मरहम न कोई लगाने वाला
कैसा है यह इन्साफ तेरा 
बेगुनाहों को मिलती है सजा
ऐ मालिक ऐसा हो जाता
दुनिया से झगडा मिट जाता
किसी को नक्सलवाद ने घेरा
पग-पग दिखता भय का डेरा
डर-डर के वहां लोग जीते हैं 
जहाँ नक्सली मिलते हैं
अब तक क्यों तू चुप बैठा
रूद्र रूप अपना दिखा 
ऐ मालिक ऐसा हो जाता
दुनिया से झगडा मिट जाता
कहीं तो है घर में हिंसा
रक्षक ही भक्षक बन बैठा
जो पत्नी बच्चों को मारता 
क्या फायदा ऐसे पौरुष का
उन को भी आकर दे समझा
कमजोर नहीं कोई होता
ऐ मालिक ऐसा हो जाता
दुनिया से झगडा मिट जाता
कहीं धर्म के नाम पर 
होती बड़ी-बड़ी हिंसा
बस्तियां-ही-बस्तियां 
हो जाती हैं इसमें तबाह
कर दे तू ऐसा टोना
सबसे सबके दिल मिला
ऐ मालिक ऐसा हो जाता
दुनिया से झगडा मिट जाता
 
अर्चना

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