कविता"देखो दीपावली आई "

 

देखो दीपावली आई 


"इस कविता में दीपावली के शुभ अवसर की तैयारियों का वर्णन है"

देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई
आओ सब मिल घर को सजाएँ
दीप जलाएं मंगल गायें
रंगोली बनायें,झालरें लगायें
देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई

घर का हर कोना चमकाएं 
लक्ष्मी माता की आरती गायें
पुष्प मिठाई बर्तन लायें
देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई

लड्डुओं का भोग लगा करके
आज गणपतिजी को भी मनाएं
सत्य के जीत को न बिसराएँ
देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई

प्रभु से सुख-शांति की प्रार्थना करें
तन की ही नहीं मन की भी मिल जाये
खुशियाँ सब ही के घर पर आयें
देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई

आतिश- बाजी उपहारों को
किसी गरीब बच्चे को पहुँचायें
उनकी भी खुशियों को बढ़ाएं
देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई

बच्चों का बहुत ही ध्यान रखें
साथ में उनके पटाके जलवायें
सावधानी के साथ में मजा तो दुगना हो जाये
 देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई

धरती माँ का भी ख्याल रखें 
प्रदूषण न हम फैलाएं 
कुछ दीप शहीदों की शांति के लिये जलाएं
देखो दीपावली आई देखो दीपावली आई
 
अर्चना

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