तेरे प्यार का सहारा
"इस कविता में एक इंसान प्रेम से मिली ताकत का वर्णन कर रहा है"
जब से मिला तेरे प्यार का सहारा
हर ख़ुशी ने था मुझे आकर पुकारा
मैं तो था भीड़ मैं भी अकेला
तेरी चाहतों ने फिर मुझे मुझसे मिलाया
हर डगर थी जैसे काटोंभरी
दिखती ही नहीं थी कहीं रौशनी
जब से तू मेरे जीवन में आया
अब तो हंसने लगा मेरा साया
हर रिश्ते से था धोखा भी खाया
घायल परिंदे सा था मै छटपटाया
मेरी आँख के छोटे- बड़े सपने को
फिर तेरी आँखों में पलते पाया
जिंदगी अब तेरी है अमानत
तूने मुझे जिंदादिल बनाया
अहसान तेरे चुका ना सकूँगा
बाद खुदा के अब तू ही याद आया
अर्चना
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