कविता " फौजी की माँ "



फौजी की माँ


धन्य है वो माँ जिसने जन्मा 
मेरे देश का फौजी लाल
पाल-पोस के बड़ा किया फिर
 कर दिया उसको देश के नाम
वो भी तो होती एक माँ है
उसमें भी तो भरी हुई ममता है
 पर लाल बिछड़ता है जब उसका
वो भी तो करती बहुत विलाप
फिर भी उसको है गर्व बड़ा
कहती है बेटा शहीद हुआ
वो फर्ज  से न जरा पीछे हटा
दस-दस को उसने गिरा दिया
परिवार का ही नहीं बल्कि
गाँव का नाम भी रौशन किया
पर जब छुट्टियाँ आती हैं
वो व्याकुल सी हो जाती है
लगता है आएगा उसका लाल
सीने से लगाएगा उसका लाल
पर जब बहु-बच्चों को देखती है
वो खुद में हौंसला भरती है
सोचती है के अब इन सब को 
और कौन समझायेगा
नहीं दिखाती कभी आंसू अपने
बाहर से वो मुस्काती है
पोते - पोती को करती बड़ा 
अपनी बहु के साथ में 
ऐसी माँ के लिए तो मै
नतमस्तक हो जाऊँ हज़ार दफा
जिसने फौजी को जन्म दिया
भारत के फौजी को जन्म दिया



 





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