कविता " इतना उदास तू कयूं होता "




इतना उदास तू कयूं होता 

जो इक सपना तेरा टूट गया 

मंजिल अभी बहुत बाकी हैं

बस तू कदमों को बढ़ाये जा

दीवार पर चढती चींटी को देख

गिरके उठना उससे सीख जरा

पांचों तत्वों से तू भी है बना 

नहीं कम तू किसी से जान जा

लगा कर पंख आशाओं के तू

सफलता के आकाश में घूम के आ

(अर्चना) 






1 टिप्पणी:

  1. होली के विराट स्वरूप की झलक प्रस्तुत कर नई वैचारिक उमंग पैदा होती है. होली की शुभकामनायें!

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