दोस्ती पर कविता | poem on friendship
ऐ दोस्त तुझे दोस्ती का वास्ता
ऐ दोस्त तुझे दोस्ती का वास्ता
यूं इस तरह से मुझे छोड़ के ना जा
जो वादा तेरा मुझसे हुआ कभी
कुछ भी करके तू वादे को दे निभा
ऐ दोस्त तुझे दोस्ती का वास्ता
क्या भूल गया साथ में बिताई जो सुबहें
जब नंगे पाँव साइकल के टायर से खेलते
कभी बूढ़े बाबा तो कभी बनिए को चिढ़ाते
मस्त मगन हम दोनों मोज किया थे करते
साथ -साथ पेड़ों पर थे कूदते -लटकते
मौका मिलने पर अमरूद लेकर के खिसकते
एक अमरूद का भी मिल बांटकर खाना
अपनी यारी की मिसालें देता था जमाना
जब इंटरव्यू की कतार में हम दो ही थे बचे
तू ने कहा "भाई तू चला जा " लग कर के गले
तू ही था परछाई हर कदम पर मेरे
अब क्यो हार मान रहा देदे मौत को तू शह
ऐ दोस्त मुझे भी है दोस्ती का वास्ता
मुझको हमेशा चाहिए एक हमसफर तेरे सा
जीते जी मिले या मुझे भी दम हो हारना
नहीं थमेगा कभी अपनी दोस्ती का कारवां
"एक दोस्त होना चाहिए"
दोस्तों मैं आशा करती हूँ के आपको ये " दोस्ती पर कविता" पसंद आई होगी | ऐसी एक और कविता नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर पढ़ें|
"एक दोस्त होना चाहिए"
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