हास्यकविता "अपने बच्चे कम थे क्या "
अपने बच्चे कम थे क्या
कि पड़ोस के भी आ गए
अब तो लगता है जैसे
मेरे बच्चों के भी भाव बड़े
कभी मांगते चिप्स के पैकेट
और कभी मांगते कुरकुरे
नींद तो पहली ही कम मिलती
अब होश भी हैं मेरे उड़ गए
न जाने शाम तक आते-आते
कितनी बार बर्तन धोने पड़ें
घर को बनाया जंग का मैदान
अब दीवारों पर चित्रकारी करने बढ़े
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