सावन पर कविता"आया सावन सुहाना "


सावन पर कविता"आया सावन सुहाना "

सावन पर कविता

ये बारिश की बूंदे
देखकर के दिल झूमे
ये मिट्टी की खुशबू
कर जाए कुछ जादू
जो चलें ठंडी हवाएँ
मन खुद ही गुनगुनाए
कोई चिड़िया पंख फड़फड़ाए
लगे धुन मधुर सुनाये
कहीं मेंढक की टर-टर
कहीं कोयल भी गाये
हम कागज की कश्ती 
को फिर से बनाएँ
चलो झूला झूल आयें 
 ऊंची पेंग भी बढ़ाएँ
लदे अंबियों से वृक्ष
सखी आओ तोड़ लाएँ
है आया सावन सुहाना 
चलो आनंद ले आयें
ऐसी मनोहर बेला तो 
वर्ष में एकबारी आये

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