भटक गया कुछ समय के लिए
मैं अपनी मंजिल से तो
क्या हुआ
बस थोड़ा सा थका हुआ हूँ लेकिन
हारा मैं बिल्कुल भी
नहीं हूं
फिर से कर लूंगा नई शुरुआत
जिंदगी की
बाजुओं पर अपने तो मुझको है
पूरा यकीन
कमजोरी को अपनी मैं ताकत
बना दिखाऊंगा
जो खोया था हर हसीन पल मैंने
एक-एक गिनकर के वापस
ले आऊंगा
अपनों के होठों की मुस्कानों को
रब से कहकर वापस
मँगवाऊंगा
अपनी मेहनत के रंगों से
किस्मत की लकीरों को मैं
सँवरवाऊंगा
बनकर के एक मील का पत्थर
मैं औरों को भी राह
दिखाऊँगा
भटक गया कुछ समय के लिए
मैं अपनी मंजिल से तो
बहुत उम्दा सृजन
जवाब देंहटाएंआभार नदीशजी
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात बहन
जवाब देंहटाएंजो खोया था हर हसीन पल मैंने
एक-एक गिनकर के वापस
ले आऊंगा
अपनों के होठों की मुस्कानों को
रब से कहकर वापस
मँगवाऊंगा
बेहतरीन पंक्तियाँ
सादर
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जवाब देंहटाएंसादर
बहुत खूब प्रेरणादायक संदेश ।
जवाब देंहटाएंओज़स्वी ... हर इन्सान के जीवन में ऐसे पल आते हैं पर हिम्मत उर मेहनत से जो बढ़ जाता है वो निकल जाता है ... गहरा सन्देश है इस रचना में ...
जवाब देंहटाएंसभी को आभार |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआभार जोशीजी |
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