मेरे घर भी आओ
कब से मैं हूँ आस किये
अब के मान जाओ
कब से मैं हूँ आस किये
अब के मान जाओ
हाँ मान जाओ भोले आओ
बाबा आओ आ भी जाओ
कभी डमरू बजाते हुए
तो कभी नृत्य तुम दिखाते हुए
कभी गंगा को साथ लिए
या कभी त्रिशूल हाथ लिए
नटराजन तुम किसी भी
रूप में तो आओ
गंगाधर तुम किसी भी
रूप में तो आओ
बस मैं तो प्रतिक्षा करूँ
अब के मान जाओ
कब से मैं हूँ आस किये
अब के मान जाओ
हाँ मान जाओ भोले आओ
बाबा आओ आ भी जाओकभी राख को लगाए हुए
तो कभी भांग तुम चढ़ाए हुए
कभी साँप को लपेटे हुए
स्वामी तुम स्वांग करते नए- नए
विषधर तुम किसी भी
रूप में तो आओ
अखिलेशवर मुझे तुम
हर रूप में ही भाओ
बस मेरी है विनती आखिरी
अब के मान जाओ
कब से मैं हूँ आस किये
अब के मान जाओ
हाँ मान जाओ भोले आओ
बाबा आओ आ भी जाओनीलकंठ आओ जटाधर आओ
पशुपति आओ प्रजापति आओ
महादेव आओ परमेश्वर आओ
गिरिशवर आओ महेश्वर आओ
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"मन में रटता ही जा"
भोले बाबा की वंदना... बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंधन्यबाद सुधाजी
जवाब देंहटाएंसुन्दर अर्चना ... भोले बाबा की स्तुति में सुन्दर गान ...
जवाब देंहटाएंजय हो बाबा की ....
धन्यवाद, जय महादेव ।
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