बंदर पर हास्यकविता "बंदर-बंदरिया"
निम्नलिखित पोस्ट बंदर पर हास्यकविता "बंदर-बंदरिया" में मैंने बंदर एवं बंदरिया की नोक-झोक का वर्णन किया है|
एक मदारी गली में आया
साथ में बंदर-बंदरिया लाया
फिर दोनों ने रंग जमाया
बड़ा ही प्यारा खेल दिखाया
पहले तो दोनों ने नाच दिखाया
फिर बंदर ने बंदरिया को डंडा दिखाया
फिर बंदरिया ने भी जोर से चिल्लाया
और बहुत देर तक मुँह था फुलाया
फिर बंदर ने बहुत विनती की
केला ,लड्डू और बर्फी भी दी
काला चश्मा भी फिर लगा लिया
और टाई को गले में सजा लिया
फिर भी न बंदरिया मानी
आज दिखा दी सारी मनमानी
तब बंदर ने लाल चुनरी दिखाई
जिसको देख वो झट से आई
फिर बंदर ने उसको चुनर उड़ाई
और ख़तम हो गयी उनकी लड़ाई
खेल देख सभी को मजा था आया
तालियों से माहोल बनाया
दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट बंदर पर हास्यकविता "बंदर-बंदरिया" अच्छी लगे तो अपने बच्चों को जरूर सुनाएँ|आप यह भी पढ़ सकते हैं|
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