फूल
"प्रस्तुत कविता में मैंने फूल की आकांक्षा का उल्लेख किया है|"
प्रभु हमको तुम फूल बना दो
रंग -बिरंगा हमें करा दो
खुशबू से से हमको महका दो
चाहे हम न किसी का रूप बढ़ाना
न चाहें किसी वरमाला में गुथ जाना
या तो अपने चरणों में हमें बैठाओ
या फिर किसी शहीद पर हमें चढ़ाओ
वो होते बहुत ही हैं महान
देते हैं औरों के लिए अपने प्राण
प्रभु आप और वो होते हैं समान
हम देना चाहें दोनों को सम्मान
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