होली गीत "वृंदावन की कुंज गलिन में "
वृंदावन की कुंज गलिन में
कान्हा कैसे है हुरदंग मचाए
राधा को मारे पिचकारी भर
गोपियन को गुलाल लगाए
आज तो ना छोड़ेगो किसी को
चाहे सुबह से रात भी हे जाए
अपने रंग मेँ रंग लेगा सभी को ऐसे
फिर और किसी को भी ना रंग चढ़ पाये
वृंदावन की कुंज गलिन में
कान्हा कैसे है हुरदंग मचाए
बलदाऊ और ग्वाल बाल संग
कान्हा घरन-घरन मेँ जाए
किसी की दाड़ी लाल करत है ,
और किसी की साड़ी धानी कर जाए
आज कृष्ण की प्रीत को नशा चढ़ो है
बिन घुंगरू हैं सब झूमे जाएँ
देखो ये श्याम की महिमा आज
सतरंगी प्रकृति का कण कण हे जाए
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कान्हा के सामने तो सभी मात और उसके प्रेम में राम जाते हैं .।। ये जग उससे ही चलता है ... सुंदर गीत है ..।
जवाब देंहटाएंAabhaar digambarji.
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