ओ मेरे ख्यालों के शहजादे
बताओ हकीक़त में
तुम कब आओगे
नहीं गुजरता लम्हा तुम बिन
कब तक यूँही
मुझको तड़पाओगे
जब तुम मेरे साथ होते
सारे आलम हसीं है होते
और जब खुल जातीं अंखिया
रेत की तरहा सब जा फिसलते
तेरे दीदार को पाने को हम
पहरों तलक सोया हैं करते
लेकिन ख्वाब तो ख्वाब ही होते
ये तो कभी ना हैं पूरे होते
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