बच्चे
"निम्नलिखित कविता बच्चों के कोमल मन तथा उनकी विशेषताओं को वर्णित करती है"
बच्चे होते मन के सच्चे
बड़े मासूम बहुत ही अच्छे
न जाने सही और गलत को
और करें बातें ज़रा सी हट के
चंदा को मामा हैं समझते
और तारों में चाहें जाना
खुली आँखों से सपने बुनते
न जाने जग का ताना -बाना
ये वो हैं जो कभी न थकते
बड़े -बड़ो को थका के रखते
हिम्मत होती सबसे ज्यादा
गिर जाएँ तो भी प्रयत्न हैं करते
कोमल होता इनका तो मन
मुस्कुरादें तो सब दुख हैं हरते
डर जाते अनजानी आहट पे
माँ से जाकर जोर लिपटते
जिस घर में न दिखाई देते
सूने दिखते आँगन उनके
और जहाँ ये जन्म ले लेते
रहे न कोई कमी उस घर में
भगवान् का दूजा रूप हैं होते
हर दम बस खिलखिलाते रहते
जिसको भी मिल जाएँ बच्चे
फिर न ऊबने का उसे वक़्त मिले
(अर्चना)
(अर्चना)
बच्चे मन के सच्चे
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
धन्यवाद सुधाजी ,आपकी हौस्लाफ्जाही से बहुत प्रेरणा मिलते है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना अर्चना जी👌
जवाब देंहटाएं