तेरे आँचल की छाया में

 तेरे आँचल की छाया में 

 बीता हर पल सुकून से 

 तेरी मिट्टी की ख़ुशबू से 

 जीवन कितना खूब लगे 

मैं ख़ुशक़िस्मत जन्मा यहाँ पे ,मैं ख़ुशक़िस्मत जन्मा यहाँ पे 

अब तो है मेरा सपना यही ,अब तो है मेरा सपना यही 

तुझको मैं देखूँ हर रोज़ बढ़ते ,तुझको में देखूँ  सजते - संवरते 

सजते - संवरते ।

मेरा ये यौवन मेरी ये काया 

चित्त भी मेरा और मेरा साया 

तुझ से जुड़ा है तुझ से बना है 

मेरी तो नस- नस में तू रमा है 

कभी भूलूँ ना तुझको कभी छोड़ूँ ना तुझको 

चाहे जो भी हो जाए ये गगन गिर भी जाए 

मेरी बाहों से तुझ को कोई छुड़ाने ना पाए  

मेरी बाहों से तुझ को कोई छुड़ाने ना पाए  

हाँ  छुड़ाने ना पाए  ।

आशा के दीपक में यू ही जलाऊँ 

तेरे माथे पर हर साल मैं चंदन लगाऊँ 

तेरी शान की ख़ातिर ,ऐ देश मेरे 

तेरी शान की ख़ातिर ,ऐ देश मेरे ,ऐ देश मेरे 

मैं सौ जन्मों तक अपने प्राण गवाऊँ 

अपने प्राण गवाऊँ 

अपने प्राण गवाऊँ ।












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