ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
जब से मेरी माँ तू चली गयी
तब से होंठों की हंसी छिन गयी
पहले रहता था बन कर बे-फिकर
अब तो लगती है मुश्किल हर घड़ी
क्योंकि
तू तो थी दोस्त मेरी
तू तो थी हमदर्द मेरी
तुझ से कुछ भी..... ना .....छुपा
तू तो थी हमराज़ मेरी
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
जब कोई गलती मैंने की
तूने मुझे प्यार से सलाह दी
पाला मुझे जाने कितने नाज़ों से
गम की छाया तो बिल्कुल ना आने दी
क्योंकि
तू तो थी दोस्त मेरी
तू तो थी हमदर्द मेरी
तुझ से कुछ भी..... ना .....छुपा
तू तो थी हमराज़ मेरी
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
इम्तहानों में ना आए नंबर मेरे बड़े
पर तूने मुझे कभी ना ताने दिये
बोला हंस कर के ना उदास हो बेटा
कल फिर आ जाएंगे जीवन में मौके नए
क्योंकि
तू तो थी दोस्त मेरी
तू तो थी हमदर्द मेरी
तुझ से कुछ भी..... ना .....छुपा
तू तो थी हमराज़ मेरी
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
ओ माँ ओ माँ ओ माँ ओ माँ
अब तो मन भी उदास है
दिखती ना कोई आस है
चुटकी में करदे जो सबकुछ हल
वो फरिश्ता ना मेरे पास है
ओ माँ ..........................
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